मानसिक संतुलन लौटेगा और आज के अनुपयोगी और आत्म-विनाशकारी व्यवहार समाप्त हो जाएँगे। जब राख जमी हुई होगी और मानवता को फिर से निर्माण के लिए मजबूर होना पड़ेगा, तो यह एक स्वाभाविक घटना होगी। पृथ्वी आज मौजूद ज़हरों के साथ-साथ मन और भावनाओं के उन ज़हरों से भी मुक्त हो जाएगी, जो मानवता को अपनी मौत की पकड़ में जकड़े हुए हैं।
© एम.एन. हॉपकिन्स
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