हमारा हृदय केवल एक शारीरिक अंग नहीं है, बल्कि एक विशाल कक्ष है, एक मिलन स्थल, न्याय और उदारता का स्थान। स्वर्ग और पृथ्वी का मिलन स्थल। वह केंद्रीय स्थल जहाँ स्वर्ग और पृथ्वी मिलते हैं और प्रेम का जन्म होता है। मानवजाति की प्राकृतिक दुनिया के साथ-साथ ईश्वरीय जगत का भी प्रेम।
© 2011 एमएन हॉपकिंस
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