अपना समय बर्बाद मत करो। अपने जीवन बर्बाद मत करो। ध्यान। ध्यान और आप स्वयं को पहचानते हैं।
स्वामी शिवानंद
भौतीक शरीर, मानशीक शरीर और उर्जा शरीर सबसे बडा आश्चर्य हमे सबकुछ अनूभुतीमेही आता है क्योकी जीव न जनम लेता है न मरता है। एक शरीरसे दुसरे शरीरमे जीवन बनता है। जीसे सामान्य ज्ञानमे शरीर कह शकते है। पर जीव नाही बनता और नाही बिगडता है। सभी लोग समझदार है जो वह कहते है यह जीव ईश्वर अंश है इसिलिये वह सिर्फ अनुभवही कर शक्ता है।
ईश्वर सांसे ध्यान मस्तिष्क में जीवको रखनेसे आत्म ज्ञान होता है और ईश्वर में जीवन शरणागत हो कर मन शून्य हो जाता है। जो मनुष्य जन्म की समय स्थित होती है। ऐसे जीतेजी अपने इस जीवन को मनुष्य जन्म सफल बना लेता है। ईश्वर की माया को पारकर मनुष्य जीव ईश्वर को प्राप्त हो जाता है जीसे संत जन मरकर जीना भी कहतेहै। धन्यवाद।
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अपना समय बर्बाद मत करो। अपने जीवन बर्बाद मत करो। ध्यान। ध्यान और आप स्वयं को पहचानते हैं।
स्वामी शिवानंद
भौतीक शरीर, मानशीक शरीर और उर्जा शरीर सबसे बडा आश्चर्य हमे सबकुछ अनूभुतीमेही आता है क्योकी जीव न जनम लेता है न मरता है। एक शरीरसे दुसरे शरीरमे जीवन बनता है। जीसे सामान्य ज्ञानमे शरीर कह शकते है। पर जीव नाही बनता और नाही बिगडता है। सभी लोग समझदार है जो वह कहते है यह जीव ईश्वर अंश है इसिलिये वह सिर्फ अनुभवही कर शक्ता है।
ईश्वर सांसे ध्यान मस्तिष्क में जीवको रखनेसे आत्म ज्ञान होता है और ईश्वर में जीवन शरणागत हो कर मन शून्य हो जाता है। जो मनुष्य जन्म की समय स्थित होती है। ऐसे जीतेजी अपने इस जीवन को मनुष्य जन्म सफल बना लेता है। ईश्वर की माया को पारकर मनुष्य जीव ईश्वर को प्राप्त हो जाता है जीसे संत जन मरकर जीना भी कहतेहै। धन्यवाद।
Thanks for your comment Chetan
Mike
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